Detailed Notes on Shiv Chalisa lyrics
Detailed Notes on Shiv Chalisa lyrics
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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
वेद नाम महिमा तव गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, read more जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
किसी भी वजह से मन में कोई भय हो तो शिव चालीसा का पाठ करे।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥